हम अपने धर के कूड़े को निकाल कर सड़क पर फेंकते हैं।कानून में अपनी सहूलियत तलाशतें हैं। हम ही उन्हे चुनते हैं हुकूमत के लिये। सढ़क पर गढ्ढे और उनके पास के मिट्टी पत्थर के ढेर से बच कर निकलते हैं। अपनी जिम्मेदारी, अपनी ताकत से अनजान हम केवल चिल्लातें हैं अन्ना तुम संघर्ष करो हम तुम्हारे साथ हैं।